रामनवमी, विष्णु भगवान के सातवें अवतार प्रभु राम का जन्मदिन।

रामनवमी, हिंदू धर्मियों का एक पवित्र और अत्यंत आस्था पूर्ण मनाया जाने वाला धार्मिक उत्सव है। हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु इस धरती पर ग्यारह बार अवतरित हो चुके हैं इस मान्यता पर दृढ़ विश्वास जताया गया है। और बारहवें अवतार कल्कि के अवतरण की अपेक्षा है। target=”_blank” rel=”dofollow”प्रभु राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में प्रकट हुए थे।

मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम के प्रागट्य दिवस को रामनवमी के रूप में पूरे भारतवर्ष में एवं विदेशों में भी जहां प्रभु राम आराध्य देव है, उन हर जगहों पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। चैत्र नवरात्र के आखरी दिन यानी नौंवे दिन को रामजी का जन्म हुआ था, जिसे रामनवमी कहा जाता।

पुराणों में रामजी के जन्म की बड़ी रोचक कथा का वर्णन है। इक्ष्वाकु वंश के राजा दशरथ सरयू नदी के किनारे अपना बहुत बड़ा एवं सुंदर साम्राज्य अयोध्या नगरी के रूप में बसाए हुए थे। राजा दशरथ औऱ उनकी तीन रानियां, कौशल्या, कैकेयी औऱ सुमित्रा संसार के सारे सुख होने के बावजूद दुखी थे क्योंकि वे संतति सुख से वंचित थे।

इसी दुःख से विचलित राजा दशरथ ने अपने गुरू वशिष्ठजी को बताया औऱ उनसे इसका उपाय बताने को कहा। वशिष्ठजी ने उन्हें अश्वमेघ यज्ञ करने के सलाह देते हुए बताया कि उन्हें इस यज्ञ के बाद चार पुत्ररत्न प्राप्त होंगे जो सारे संसार में उनके नाम को अमर कर देंगे। वशिष्ठजी की बात मानते हुए राजा दशरथ ने अश्वमेघ यज्ञ विधिवत राज्यशृङ्ग ऋषि के मार्गदर्शन में आयोजित किया।

यज्ञ की पूर्णाहूति के दौरान राजा दशरथ को ताम्रपात्र भरके पंचामृत दिया गया जिसे राजा ने नियम के तहत आधा अपनी बड़ी रानी कौशल्या को पिलाया, उसका आधा कैकेयी को प्राशन्न कराया। औऱ तीसरा भाग तीसरी रानी सुमित्रा को पिलाया, औऱ थोड़ा पंचामृत बचा होने के कारण, वह भी सुमित्रा को पिला दिया।

अश्वमेघ यज्ञ के बराबर बारह महीनों के बाद चैत्र शुक्ल नवमी को कौशल्या ने अत्यंत सुंदर पुत्ररत्न को जन्म दिया जिनका नामकरण राम के रूप में किया गया। कुछ समय के बाद कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। औऱ सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न नामक जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।

प्रभु राम के बाल्यकाल को दर्शाती दुर्लभ पेंटिंग

इधर लंबे अरसे से रावण नामक एक दुष्ट राजा शिवजी की आराधना करके उनसे वरदान प्राप्त करके काफ़ी ताकतवर हो गया था। बादमें वह हर एक ऋषि औऱ राजा की परेशानियों का कारण बन गया था। जिसके चलते, कई ऋषि अपनी फरियाद लेकर भगवान विष्णु के सामने उपस्थित हुए औऱ उन्हें रावण की समस्या हल करने की बिनती कि।

यही कारण है भगवान विष्णु ने उस वक्त धरती पर अवतरित होने का फैसला कर लिया। भगवान राम उन्हीं का सातवां अवतार है। आगे चलकर प्रभु राम ने रावण का अंत किया जिसकी कथा जगप्रसिद्ध है। गौरतलब बात ये है कि रामजी का जन्म चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन हुआ। एवं उन्होंने रावण का अंत शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन किया। जिसे हम विजयादशमी यानी दशहरे के रूप में मनाते हैं।

आप सभी को रामनवमी की शुभकामनाएं।

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