पूर्वोत्तर राज्यों में क्यों लहराया केसरिया?

पूर्वोतर राज्यों में लहराया केसरिया

वामपंथियों को त्रिपुरा में तीस साल मिलते अगर इसबार भी वो जीत जाते। कांग्रेस मेघालय में घायल हो गई। इन दो राज्यों में कांग्रेस कि बहुत बुरी शिकस्त हुई है। आज़ादी के सत्तर साल किसी भी देश को विकसित होने के लिए बहुत काफ़ी वक़्त होता है। लेकिन इन सत्तर सालों में कांग्रेस ने देश के ज्यादातर राज्यों में सबसे ज्यादा समय तक शासन किया है। वहीं कुछ राज्यों पर वामपंथियों ने एकचक्रा शासन दशकों तक किया।

ऐसा क्या हो गया जो आज जहां जहां भी चुनाव होते हैं कोंग्रेस व कई क्षेत्रीय दल स्पर्धा से बाहर होते हैं। आज यह सारी पार्टियां इतनी अप्रासंगिक क्यों है! क्यों सारी पार्टियां कथित बुद्धिजीवियों की आड़ लेकर मोदी औऱ भाजपा के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं। क्यों सारे घोटालों के लिये मोदी की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है! २०१९ में क्यों मोदी की राह में जितनी अड़चनें पैदा की जा सकती है, कर रहे हैं!

कुछ निर्णय जो मोदी सरकार ने लिए, ये सारी प्रतिक्रियाओं की जड़ वोही निर्णय हैं। आधार कार्ड को सरकारी योजनाओं से जोड़ने की वजह से कई लोगों की दुकानों पर हमेशा के लिए ताले लग गए हैं। टैक्स पेयरो में बढ़ोतरी हुई। सरकारी कर्मचारियों को काम करना ही नहीं पड़ता, वो काम कर रहे हैं यह साबित भी करना पड़ता है। बैंकिंग सिस्टम पारदर्शी होने के कारण जो धांधलियां सामने आई, विरोधियों ने उसे भी मोदी पर मढने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सारे नागरिक जो इन विरोधियों को सहते हुए थक गए हैं, वो सब समझते हैं औऱ अब वोही लोग मोदी सरकार को बराबर साथ ही नहीं दे रहे, बराबर जीता भी रहे हैं।

हो सकता है अच्छे दिन आए न हो, हो सकता है मोदी सरकार काफ़ी गलतियां भी कर रही है, लेकिन लोग जो देख रहे हैं वो मुझे लगता है मोदीजी की बदलावों औऱ विकास करने की नियत साफ़ साफ़ देख पा रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्य भी इससे अछूते नहीं है। चीन की हरकतों पर बाज़ नज़र रखने वाले मोदी उन्हें भी भा रहे हैं।

जो चीजें मोदी सरकार के कंट्रोल में नहीं है उनके लिए उनसे उम्मीद करना बेमानी है। जो चीजें वो कर रहे हैं, उनसे भारत के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा, ये देखना जरूरी है। जो चीजें वह कर सकते हैं लेकिन नहीं कर रहे हैं, उनके लिए सरकार को फटकार लगाना भी जरूरी है। लेकिन जब नियत सही हो तो क्यों ना लोग उन्हें बराबर मौके देंगे!

पश्चिम बंगाल औऱ कर्नाटक में हो सकता है भाजपा को बहुत कड़ी चुनौती मिले। म.प्र. एवं राजस्थान में हो सकता है उनकी अपनी पार्टी के कुछ तत्व भी उनके लिए मुसीबत पैदा करें, लेकिन अमित शाह औऱ मोदी मिलकर इन सभी चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने में सफ़ल होंगे ऐसा लगता है।

यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि सारे लुटियंस, विरोधी मीडिया औऱ मजबूत विरोधियों को पछाड़ने के लिए शाह और मोदी की जोड़ी क्या स्ट्रेटेजी अपनाएगी। इन सब बातों का विश्लेषण हम समय समय पर करते रहेंगे। आप अपनी राय जरूर यहां रखिएगा।

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