क्या आप भगवान को मानते हैं? आप भगवान के बारे में क्या जानते हैं? क्योंकि मानने के लिए जानना ज़रूरी है, वैसे ही जानने के लिए मानना ज़रूरी है। तो भगवान को जानने के लिए भगवान शब्द का अर्थ क्या है इस प्रश्न से शुरू करना चाहिए। कही सुनी बातें हमें भगवान तक शायद न पहुँचा सके।
भगवान शब्द कहा जाता है कि सबसे पहले विष्णु पुराण में पाया जाता है। श्लोक है –
“उत्पत्तिम् प्रलयं चैव भुतानामा गतिंगतिं।
वेत्तिम विद्यामविद्याम च स वाच्यो भगवानीति।।”
अर्थात, जो उत्पत्ति एवं विनाश के बारेमें जानते है, भुतानामा यानी जीवों के आने जानेकी प्रक्रिया को जानते है, उन्हें भगवान कहा जाता है।
दुसरे, भगवद्गीता में पूर्ण पुरुषोत्तम कृष्ण को भगवान के विशेषण से २८ बार संबोधित किया गया है। इसके बहुत मायने हैं। आप इस बात पर गौर करें, वान विशेषण हर उस शब्द के बाद जोड़ा जाता है जो चीज जिसके पास बहुतायत में है, जैसे धनवान, गुणवान, दयावान। तो धन जिसके पास बहुत है वो धनवान। तो भगवान का अर्थ क्या होगा?
भग का अर्थ होता है योनि, यह एक बात, दूसरे, ६ गुणों का समूह भग कहलाता है। क्या है ये ६ गुण? ये है ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य। आप देखिए, ऐश्वर्य और वैराग्य दोनों दरअसल दो छोर हैं, बहुत मुश्किल है किसी ऐश्वर्यवान का वैरागी होना। हाँ, गौरसे देखें तो भगवान श्री कृष्ण में ये दोनों छोर अवश्यम्भावी दिखाई देते हैं।
और जो ६ गुण हमने जाने, हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि भगवान श्री कृष्ण में हम ये सारे गुण पाते हैं, इसीलिए उन्हें एक बार या दो बार नहीं पूरे २८ बार वेद व्यासजी ने भगवानुवाच संजय के द्वारा भगवद्गीता में कहलवाया है।
दूसरे, जो योनियों की गति की जानकारी रखते हैं, उन्हें भगवान कह सकते हैं, ऐसा विष्णु पुराण के उपरोक्त श्लोक को पढ़ने पर पता चलता है।
और, हम श्रद्धा और अश्रद्धा के चक्रव्यूह में भगवान के सही मायने समझ नहीं पाते, तभी, कइ बार धर्मगुरुओं को भगवान कहकर जाने अनजाने कहीं न कहीं अपनी मान्यताओं के चलते अंधश्रद्धा में उलझ जाते हैं।
बहुत गहरी बात है पर आपसे यह अनुरोध है कि कही सुनी बातों से हटकर खुद शास्त्रों का अध्ययन करें, और तय करें कि आपके लिए भगवान के क्या मायने हैं।
अस्तु।
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥
An informative article, written very well.
आपने बहुत ही सच कहा है। हमें शास्त्र का अध्ययन करना चाहिए।