वो शमां क्या बुझे, जिसे रोशन खुदा करे।
राहें रोशन होती हैं तेरे हमकदम होने से,
रुहें सुकून पाती हैं तेरी रहमत से,
किस्मते बुलंद होती है तेरी जर्रानवाजी से,
जब जिंदगी जांनिसार होती है तेरी बंदगी में,
युँ ही नहीं मिलती सरमांयेदारी हर किसी को,
गुज़रना पड़ता है कई अंधेरों, कई तपिशों से
तेरे हर बंदे को, तुझे पाने को,
बार बार घुलना पड़ता है तुझमें समा जाने को…