Holi Wishes

होली के रंग कितने सलामत!!!

फागुन आते ही ढोल नगाड़ों की आवाज़ कानों में होली की दस्तक देने लगती है, बसंती पुरवईयां रंगोत्सत्व का आगाज़ होते ही मौसमों को महका देती हैं. राजस्थानी गवैयों की टोलियां उनके रंगारंग वस्त्रों से ही होली के त्यौहार की अलख जगा देती है. ऐसे में अंगों में रंगों की उमंग फ़ैल जाना लाज़मी है. रंगों का त्यौहार होली ऐसे भी हर उम्र के लोगों की पहली पसंद होता है. और शक संवत के अनुसार ये त्यौहार भारत के उत्तरी भागों में नववर्ष भी कहलाता है. ऐसे में कोई विरला ही होगा जो उत्सव के रंगों में सरोबार नहीं होगा.

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होली में जहां चारो और रंगों की धूम होती है, वहीँ ये त्यौहार नए वस्त्र सजाकर ही रंगों से खेलने का दिन है, जो भी इस दिन नए वस्त्र पहनकर होली खेलते हैं, वह अपनी समृद्धि इसके जरिये बतलाते हैं, इसलिए राजस्थान में आज भी कम से कम आय वाला परिवार भी होली के दिन नए वस्त्र ही धारण करके होली खेलना पसंद करता है. परंतु आज के इस आधुनिक दौर में जहाँ सारे त्यौहार मानाने के तौर तरीके बदलने लगे हैं, वहां होली ही एक ऐसा त्यौहार बचा है, जहाँ घर परिवार एवं मोहल्ले के सारे लोग औपचारिक तौर पर ही सही, तिलक होली तो जरूर खेलते हैं.

वहीँ दूसरी और युवा वर्ग वही पुरानी हुड़दंग मचाने वाली होली खेलने से बाज़ नहीं आते, और यही तो असली होली खेलने का मजा होता है. ऐसे में कई बार रंगों से खेलने के बाद कई लोगों को कई तरह की परेशानियां होती है. इसका कारण ये है की आजकल पहले जैसी रंगों की शुद्धता पर कोई ध्यान नहीं देता. जिसकी जो मर्जी वोही बनाके बेचता है और इस एक दिन के व्यापार में अपनी साल भर की कमाई कर लेता है. हम लोग भी जब होली खेलने के लिए जब रंगों की ख़रीददारी करते हैं, तो हम भी वोही रंग लेकर आते है जो बेचनेवाला हमको बेचता है. ऐसेमें बहुत लाज़मी है की रंगों के शुद्धता हमारी प्राथमिकता नहीं होती.

वहीँ, जब सिर्क थोड़े घंटों के लिए ही इन रंगों का इस्तेमाल करना होता है तब हम भी ज्यादा लम्बा सोचते नहीं है. परेशानी तब होती है जब हमारे अपनों को किसी तकलीफ  का सामना करना पड़ता है. बहुत बार देखा गया  है की होली के दौरान रंगों से खेलने के बाद, कुछ समय तक चमड़ी से सम्बधित शिकायतें, आँखों की समस्याएं एवं बालों की समस्याओं की शिकयतों का ढेर लग जाता है. विडम्बना ये है की हमारे देशमें इस तरह की कोई मशीनरी काम  नहीं करती जो, होली के रंगों के बाजारमें आने से पूर्व उसकी कोई जाँच करें. जैसे दीवाली या अन्य त्योहारों के दौरान मिठाइयों के व्यापारियों की अच्छी जाँच पड़ताल होती है वैसे होली के दौरान कभी ये देखा नहीं गया की होली के रंग हमारे लिए कितने सलामत है. और हम, जो इन रंगों से खेलने वाले होते हैं, हम भी कहाँ परवाह करते हैं की कोई हमें कौनसे रंग बेच रहा है.

आप हैरान होंगे ये जानकर की जितने भी रंग आज बाजारमें उपलब्ध है, अगर उनकी जाँच की जाये तो पाएंगे की सौ में से निन्यानवे रंगों में केन्सरजन्य तत्व मिलेंगे. ये रंग हमारे शरीर के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो सकते हैं. लेकिन किसे परवाह है. हमारा भारत सचमुच ईश्वर की कृपा पर चलने वाला देश है, जहाँ हर व्यक्ति अपने आज  के आनंद में मस्त है, कोई चीज उसे कितना नुकसान पहुंचा सकती है, इस बारे में सोचने की वह बिलकुल परवाह नहीं करता. खुदरा और खुल्ला बिकने वाला रंग तो हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते की वह कितना घातक सिद्ध हो सकता है, लेकिन आकर्षक पैकिंग में बिकने वाले रंग भी आपके लिए सलामत इसलिए नहीं होते हैं की उन पैकिंग पर कहीं बहुत बारीक़ अक्षरों में लिखा होगा की किसी भी अनहोनी के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं. आप रंग खरीदने के वक्त उनके पैकिंग की जाँच अवश्य करें और आगे उस पैकिंग पर छोटी से छोटी बात भी पढ़ने की अवश्य कृपा करें क्योंकि आपका स्वास्थ्य इन रंगों की बदौलत हरगिज़ जोखिम में नहीं आना चाहिए.

आप और भी कई तरीके की कारगुजारियां रंगों के व्यापार में पाएंगे, जैसे, आजकल हर्बल, आर्गेनिक और सलामत रंगों का प्रचलन है, तो कई कम्पनियाँ हर्बल, आर्गेनिक एवं सलामत रंगों के नाम से आपको बरगलाएंगीं. आप उनकी भी जाँच अवश्य करें क्यों की हर्बल रंग कहकर आपको कैमिकल्स थमाए जा सकते हैं. आर्गेनिक कहकर आपको सीसे से भरपूर रंग बेचे जा सकते हैं. आपकी सलामती सिर्फ आपके हाथों में है. कृपया आप ही अपने रक्षक बनें एवं अपने और अपनों के लिए वोही रंग चुने जिसके लिए आप आश्वस्त हैं की आपने सही रंग खरीदे हैं. व्यापारियों पर कभी भरोसा न करें, आप खुद सारी पड़ताल करके ही अपने रंगों का चुनाव करें. आखिर आपके स्वास्थ्य एवं आपके अपनों की खुशियों का सवाल है.

सेहत भरी होली की बहुत बहुत शुभकामनायें…

A young and enthusiastic marketing and advertising professional since 22 years based in Surat, Gujarat. Having a vivid interested in religion, travel, adventure, reading and socializing. Being a part of Junior Chamber International, also interested a lot in service to humanity.
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