મારી કલમથી હિન્દી અછાંદસ,
પ્રતિભાવો અપેક્ષિત…
चारोँ ओर छाई है खुशहाली,
जी हाँ दोस्तो,
आई है फीर से दिवाली।
रौनकेँ बिखरी है बाज़ारोमेँ
आशाएँ दीख रही आँखोमेँ
ऊमँगेँ फैली है दिलोँमेँ
कहीँ लाखोँ खर्च हो रहे हैँ
खुशीयोँ की चाह मेँ
कहीँ गुल्लक टूट रहे हैँ
बच्चोँको पटाखे दिलानेमेँ
कीतनी हवेलीयाँ नहाई हैँ
चाईनीज़ दीपमालाओँकी रोशनीमेँ
कहीँ अँधकार फैला है
शहिदोँ की चीताओँके ऊजालेमेँ
न जाने कीतनी दिवालीयाँ जाऐँगी
ऊनके अपनोँकी सँभलनेमेँ
आओ पहल करेँ
ईस दीवाली पर यह प्रण करेँ
रोशनी हो या पटाखे
थोडी करेँ या ज्यादा करेँ
करेँ तो बस स्वदेशी करेँ
ईस बार दीवाली जरा हटके करेँ
हमारे शहीदोँ का स्मरण करेँ
जो भी करेँ, स्वदेशी करेँ
जी हाँ दोस्तो,
आई है फिरसे दीवाली,
आईए, फैलाएँ चारोँ ओर खुशहाली।
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