क्या वेब सीरीजोंमें ब्राह्मणोंका खलनायक होना संयोग है या षड्यंत्र?

त्रिवेदी, गुरुजी, पंडित, शुक्ला, त्रिपाठी, त्यागी, जोशी, बाजपेयी, तिवारी, अखंडानंद, रतीशंकर, रामशंकर।

इन सब पारिवारिक नामों में या व्यक्तिगत नामों में आपको क्या समानता नज़र आती है?

जी हाँ। सही सोचा है आपने। ये सारे ब्राम्हणों के ही नाम है। एक और समानता इन सब नामों में है, वो ये की, ये सारे के सारे किसी न किसी बहुचर्चित क्राइम वेब सीरीज़ के पात्र हैं। औऱ इन सभी वेब सिरिज़ो में ब्राह्मण खलनायक हैं।

औऱ ये सारे पात्र अत्यंत दुर्दांत कार्य करते हुए इन सीरीजों में नज़र आते हैं।

पिछले कुछ सालों में OTT प्लेटफ़ॉर्म के कई ऍप्स ने धूम मचा रखी है। इन ऍप्स, जैसे नेटफ्लिक्स, ऐमेज़ॉन प्राइम, वुट, ज़ी5, TVF, ALT बालाजी, हॉटस्टार और कई औऱ ऍप्स की लंबी सूची है, जिनमें कुछ सिरीज़ जैसे सैक्रेड गेम्स्, मिर्ज़ापुर, असुर, पाताल लोक, रंगबाज़ जैसी वेब सिरीज़ करोड़ों लोगों द्वारा देखी गई औऱ खूब सराही गई।

औऱ इन सीरीजों के मुख्य खलनायकों के नाम सारे ब्राम्हणों के नामों पर रखे गए हैं।

Sacred Games Poster – Courtesy: Netflix

जैसे सेक्रेड गेम्स में त्रिवेदी औऱ गुरुजी। मिर्ज़ापुर के अखंडानंद त्रिपाठी, रतीशंकर शुक्ला, गुड्डू पंडित औऱ बबलू पंडित, इंस्पेक्टर गुप्ता। पाताल लोक में त्यागी, बाजपेयी, शुक्लाजी। असुर में शुभ जोशी। रंगबाज़ में शिवशंकर शुक्ला औऱ रामशंकर तिवारी।

ये सारे पात्र खूब मारकाट मचाते हैं। मदिरापान औऱ मांसाहार धड़ल्ले से करते हैं। कहीं त्रिपाठी की पत्नी घरके नौकर से संबंध बनाती है, यहां तक कि अपने सौतेले बेटे से संबंध बनाने की कोशिशों में रत है। औऱ उसका ससुर उसे अपने साथ संबंध बंधवाता है औऱ वो संबंध बांधती भी है। वहीं एक पण्डिताइन मां अपने बेटों की काली कमाई से ख़ुश होती है। यही नहीं, अपने बनिए को बेटे की गुंडागर्दी के जरिये डराकर मुफ़्त का सौदा भेजने को मजबूर करती है। कहीं कोई गुरुजी अपने आश्रम में समलैंगिक संबंध बनाते हैं। कहीं कोई त्यागी हथौड़ा लेकर लोगों के सर फोड़ देता है। कहीं कोई तिवारी नेता शुक्ला नामक कीलरमेन रखता है। इन सिरिज़ो में भ्रष्ट नेता बाजपेयी औऱ तिवारी होते हैं औऱ इनके गुंडे त्यागि, पण्डित औऱ शुक्ला जैसे नामधारी होते हैं। यहाँ ब्राह्मण खलनायक हैं।

Amazon Prime Video Web Series Mirzapur Poster courtesy: Amazon prime

औऱ ये तो सिर्फ़ पांच वेब सीरीजों की बात है।

ऐसी न जाने कितनी सिरिजें बनी होंगी या बन रही होंगी। सवाल ये है कि क्या सचमें ये सारे दुर्जन पात्रों के नाम ब्राम्हणों पर आधारित होना मात्र संयोग है? या इन सीरीजों के सर्जकों को सचमें समाजमें ऐसे नाम, अक्सर गलत कामों के पीछे यही नाम नज़र आते होंगे? या फ़िर ये कोई बहुत बड़ा सोचा समझा षड्यंत्र है? ये हो सकता है कि कुछ ब्राम्हणोंकी गुनाहों में लिप्तता होगी, कुछ ब्राम्हण आजके इस दौरमें मदिरापान एवं मांसाहारका सेवन करते हों, हो सकता है, राजनीति में कुछ ब्राम्हण नेताओं ने भ्रष्टाचार किया हो! वैसे ही जैसे हर तबके के कुछ लोग करते हों। लेकिन ज्यादातर ब्राम्हण परिवार औऱ उनकी आजकी पीढ़ी भी अपने संस्कार औऱ संस्कृति से विमुख होने से घबराती है। ऐसे ब्राम्हणोंका चित्रण खलनायकों के रूपमें दिखाकर किसको क्या हासिल होता है?

आखिर कौन है ये लोग जो ऐसे चरित्रोंका निर्माण करके लोगोंके अजागृत मनमें ब्राम्हण अत्यंत दुर्दांत होते हैं, ऐसा भरना चाहते हैं? क्या आपने अपने आसपास में ऐसे ब्राम्हण गुंडातत्व कभी देखे हैं? जबकि डेक्कन हेराल्ड में 1 जनवरी 2020 को प्रकाशित आर्टिकल में शेमिन जॉय लिखते हैं कि भारतीय जेलों में बंद दो तिहाई कैदी मुस्लिम, आदिवासी औऱ दलित समुदाय के हैं। औऱ डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक ये आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हैं।

यहां मैं बिल्कुल किसी गुनाहगार को किसी समाज से जोड़ना नहीं चाहता हूं। गुनाहगार का कोई धर्म या समाज नहीं होता है। जैसे हाल ही में कानपुर के बिकरु में विकास दुबे औऱ उसके सारे गुंडे जिन्होंने अत्यंत घृणास्पद तरीके से उत्तर प्रदेश पुलिस के कर्मठ सिपाहियों की हत्या की। औऱ पुलिस ने भी उसको उसके कई गुर्गों समेत अपने अंजाम तक पहुंचा दिया। ऐसे गुंडे ब्राम्हणों के नाम पर कलंक है।

लेकिन फ़िर भी, ये सवाल भी जायज़ है कि इन सारी वेब सिरिज़ो में गुंडों औऱ हत्यारों को ब्राम्हण ही क्यों बताया गया है? औऱ शायद एक या दो सिरिज़ो में ये होता तो शायद ये संयोग हो सकता था। लेकिन हर कोई अपनी सिरिज़ो में जब खलनायक ब्राम्हण ही बताएगा तो शायद ये बहुत बड़ा षडयंत्र है औऱ बहुत निन्दात्मक है। एक ब्राम्हण होने के नाते मेरे लिए ये कतई अस्वीकार्य है कि कोई तिवारी, कोई त्रिपाठी कोई पण्डित कोई शुक्ला, कोई त्यागी, कोई बाजपेई, कोई जोशी दारू पीकर, मांसाहार करके लोगों की बेरहमी से हत्या करते हों। कोई ब्राम्हण स्त्री अपने चरित्र की परवाह किये बिना किसी के साथ भी संबंध बनाती हो चाहे वह उसका नौकर हो, सौतेला बेटा हो या ससुर हो।

वेब सीरीज बनाना इनका धंधा है।

PatalLok and Asur Web Series Poster Courtesy: Indian Express

सदियोंसे ब्राम्हणों के वर्चस्व को देखते आनेवालों को 1947 के बादकी राजनीति के चलते ब्राम्हणोंको खलनायक बताना सुहाता है। जिसमें सावरकरजी से लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सारे सरसंघचालकों को भी लोग गालियां देते हैं। लेकिन OTT प्लेटफॉर्म की लोकप्रियता के चलते करोड़ो लोग इन सीरीजों को देखते हैं। औऱ बारबार ब्राम्हणों को गुंडा देखकर नई पीढ़ी के लोग, चाहें वो किसी भी समाजसे आते हों, ब्राम्हणों के लिए अपने अजागृत मनमें द्वेषभाव रखना जाने अनजाने शुरू करेंगे।

अतः कोई इन सिरिज़ो का बहिष्कार करे न करें। हम ब्राम्हणों को इनका बहिष्कार करना होगा। हालही में मिर्ज़ापुर भाग दो के 23 अक्टूबर को रिलीज़ होने के समाचार आए हैं। हो सकता है, हमारे बहिष्कृत करनेसे किसीको फर्क पड़े न पड़े। फिर भी, हमें अपने आत्मसम्मान का ध्यान रखना होगा। औऱ उन सारी सिरिज़ो को बहिष्कृत करना होगा जिसमें ब्राह्मण खलनायक हो।