जिंदगी के अफसाने क्या बयाँ करुँ!

जिंदगी के अफसाने क्या बयाँ करुँ, जिंदगी गुजर जाएगी।
चाहा था कभी, चाहूँगा तुम्हें जिंदगी भर, अब देखो, तुम्हें चाहते हुए जिंदगी गुजर जाएगी।
साेचा था कभी, तुम्हें हीरों से सजाऊंगा जिंदगी भर, अब देखो, तुम्हें बाँहों के हार से सजाते हुए जिंदगी गुजर जाएगी।
माना था कभी, तुम ना मिले तो मेरी जिंदगी बिखर जाएगी, अब देखो, कितनी खुशी से तुम्हारे साथ हंसते हुए जिंदगी गुजर जाएगी।
सुना था कभी, क्या साथ निभाओगे जिंदगी भर?,
अब देखो, तुम्हारे कदमों से कदम मिलाकर चलते हुए जिंदगी गुजर जाएगी।
और, कहा था कभी, सारे नाज ऊठाऊंगा जिंदगी भर,
अब देखो, तुम्हें पलकों पर बिठाए हुए जिंदगी गुजर जाएगी।