लिंगायत समाज को कांग्रेस ने क्यों दिया अलग धर्म का दर्जा?

लिंगायत समाज की लंबे अर्से से चली आ रही अलग धर्म के दर्जे की मांग को, कर्नाटक के चुनावों के मद्देनजर, कांग्रेस शासित कर्नाटक में,  कल मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आधिकारिक मंजूरी दे दी। हाल ही में सम्पन्न हुई कांग्रेस प्लेनरी में राहुल गांधी समेत कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा पर समाज को बांटने औऱ तोड़ने के आरोप लगाए।

लिंगायत समाज की लंबे अरसे से विलंबित अलग धर्म की मांग का कर्नाटक सरकार ने किया स्वीकार।
लिंगायत समाज को अलग धर्म की मान्यता देते हुए सिद्धरमैया

औऱ अब इसी कांग्रेस की राज्य सरकार ने हिंदु समाज के एक तबके को अलग धर्म के रूप में अलग कर दिया। यह समझना जरूरी होगा कि आखिर ऐसा करके कांग्रेस ने क्या हासिल कर लिया। दो बड़ी महत्वपूर्ण बातें यहां हुई। एक, कर्नाटक की जनसंख्या में करीब २०% की हिस्सेदारी रखने वाले लिंगायत समाज, (जो सोलहवीं शताब्दी के मशहूर समाज सुधारक श्री बसवेश्वर ने स्थापित किया था,) की लंबे अरसे से विलंबित मांग को कांग्रेस ने स्वीकार किया। दो, राज्य सरकार ने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी।

यानी भाजपा की केंद्र सरकार अगर इस मांग पर अपना ठप्पा लगाती है, तो कर्नाटक के हर लघुमतियों की नाराजगी मोल लेगी। औऱ अगर अस्वीकृत करती है, तो लिंगायत समाज की ख़ौफ़जदगी मोल लेनी होगी। मतलब भाजपा के लिए इधर कुआं, उधर खाई जैसी स्थिति का निर्माण करके कांग्रेस के रणनीतिकारों ने युध्द का आगाज़ कर दिया है।

सिद्धरमैया ने लिंगायत कार्ड खेलकर एक तीर से येदियुरप्पा एवं मोदी शाह की रणनीति को घायल करते हुए एक बड़ी चुनौती दे दी। लेकिन इस के साथ ही कांग्रेस ने अपने अधिवेशन के दौरान भाजपा पर जो देश को बांटने के आरोप बड़े आक्रामक तेवर रखते हुए लगाए थे, यहां कांग्रेस खुद को इन आरोपों से कैसे अलग कर पाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

वैसे लिंगायत समाज के वरिष्ठ लीडरों के कहना है कि लिंगायत समाज किसी धार्मिक अंधविश्वास पूर्ण रीती रिवाज को नहीं मानता। व लिंगायत समाज में स्त्री पुरुषों को समान मानते हुए किसी भी वर्ण व्यवस्था को बिलकुल नकारता है। हालांकि यह अधिकार तो संविधान ने भारत के प्रत्येक नागरिक को समान रूप से मूलभूत अधिकारों के तहत दिया ही है। सिर्फ यही एक कारण तो हिंदू धर्म से अलग धर्म की मांग करने के लिए बिलकुल नहीं होगा।

क्या ऐसे कारण होंगे जिनके चलते लिंगायत समाज को अलग धर्म की मांग करनी पड़ी,अगले आर्टिकल में यह समझने की कोशिश करेंगे। तब तक, यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो तो लाइक, कमेंट्स औऱ शेयर जरूर कीजिए।

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A young and enthusiastic marketing and advertising professional since 22 years based in Surat, Gujarat. Having a vivid interested in religion, travel, adventure, reading and socializing. Being a part of Junior Chamber International, also interested a lot in service to humanity.
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